मप्र से आये शिकारी गिरोह की सूचना देने पर 10000 रुपए इनाम

(Raipur News Today) मैनपुर। उक्त क्षेत्र में न केवल वन अमला बल्कि सीआरपीएफ के जवान भी गश्त करते हैं। सामान्य ग्रामीण एवं मवेशी भी आवाजाही करते है जिनके जान-माल की आशंका जमीन में दबे बमों के कारण बनी हुई है। 6 मई को उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व की एन्टी पोचिंग टीम ने मादा भालू को पोटाश बम से शिकार करने के फरार आरोपी हजारी नेताम ग्राम- कालीमाटी थाना इन्दागांव तहसील अम्लिपदर जिला गरियाबंद को शिकार करने के 28 दिनों बाद हिरासत में लिया। पूछताछ के दौरान आरोपी हजारी ने बताया कि मध्य प्रदेश राज्य से आये शिकारी गिरोह (जो कि ग्राम कालीमाटी में डेरा डालता है) राहुल नामक व्यक्ति (असली नाम कुछ और भी हो सकता है) से उसने बम खरीदे थे। इसके अतिरिक्त वन अमले द्वारा पूर्व में भी अक्टूबर 2020 में मध्य प्रदेश के शिकारी गिरोह के आरोपी राहुल को 20-25 किलोग्राम पोटाश के साथ ग्राम कालीमाटी से हिरासत में लिया था किन्तु आरोपी द्वारा स्वयं को घायल कर एवं महिलाओ की आड़ लेकर वन विभाग एवं पुलिस की कारवाई से बच निकला था। आरोपी उत्तम के बयान से ज्ञात हुआ है कि मध्य भारत के पारधी शिकारी गिरोह पिछले 10-12 वर्षों से ग्राम कालीमाटी में आना जाना कर रहे थे। पोटाश बंम की सप्लाई करते थे।

जनवरी 2024 में राहुल को इन्दागांव क्षेत्र में देखे जाने की सूचना हाल ही में मिली है। राहुल की फोटो टाइगर रिजर्व अंतर्गत सभी पुलिस थानों एवं परिक्षेत्र कार्यालयों में पतासाजी करने हेतु दी जा रही है। आमजनों खासकर चरवाहों से अपील है कि वन क्षेत्र में विचरण के दौरान यदि ऐसी कोई वस्तु / पदार्थ आपके संज्ञान में आता है तो तत्काल वन विभाग से सूचना साझा करे । बम की सूचना देने एवं सम्बंधित आरोपी को सफलता पूर्वक पकडवाने पर 10000 रुपए का नगद पुरस्कार दिया जावेगा ।

वन्यप्राणी शिकार में उपयोग हो रहा पोटाश बम

प्राय ये देखा गया है कि शिकारियों द्वारा पोटाश बम को मुर्गे की अंतड़ियों / मछली के मांस के बीच लपेटकर जमीन में कुछ सेंटीमीटर गाड़ दिया जाता है। भालू, जंगली सूअर, लकडबग्घा, तेंदुआ द्वारा सूंघकर जमीन को खोदकर जैसे ही चबाया जाता है तो घर्षण से पोटाश में आग लगते ही जोरदार विस्फोट होता है। कई बार वन्यप्राणी के वजन से या खोदते समय ही विस्फोट हो जाता है। ऐसे में यह बम न केवल जानवरों बल्कि वन क्षेत्र में पेट्रोलिंग कर रहे स्टाफ एवं जवानों के लिए भी घातक है। ग्राम कालीमाटी, बन्वापारा, धुवागुडी, सिहारलाटी, खोखमा एवं बुङ्गेलटप्पा से लगे वन क्षेत्रो में सावधानी से गश्त करने का सुझाव दिया जाता है।